
Seven wonders of the world| Seven wonders of the world in hindi
Introduction
आइए जानते हैं दुनिया के सात अजूबों के बारे मे…
मानव बड़ा ही प्रगतिशील जीव हैं। जो प्रारंभ में बाकी जीवो की भाती था। जिनमे विकास करने की कोई प्रवृति नही थीं। लेकिन समय के साथ मनुष्य में परिवर्तन आता गया और मानव इतना प्रगति वान बन गया की उसने प्रकृति से साधारण वस्तुएं लेकर उनको अद्भुत और अचरच रूप वाली बना दिया। जो सौंदर्यता मैं किसी प्राकृतिक निर्माण से कम नही हैं।
ऐसे ही विश्व के सात अजूबे। जिनके देखकर हर इंसान चकित और प्रफुल्लित हो जाता हैं।आइए आज उनके बारे में जानते है।
रोमन कोलोसियम
यह रोम में स्थित एक एंफिथिएटर हैं (एंफिथिएटर का अर्थ ऐसे स्थल जो मनोरंजन के लिए बनाए जाते हैं और सरचना में गोल होते थे जिनमे आसपास जनता के बैठने के लिए स्थान होता था।) इसका निर्माण 72वी ईस्वी में फ्लोवियन वंश के राजाओं ने करवाया था। इसलिए इसका नाम फ्लोवियन एंफीथिएटर पड़ा।
इसी एंफीथिएटर के पास प्रतिमा है जिसका नाम कोलोसस ऑफ नीरो है जिसके कारण इसका नाम कोलोसियम पढ़ गया। आज यह विश्व के सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक हैं। और अपनी विशालता के लिए काफी प्रसिद्ध हैं।
माचू-पिच्चू
माचू पिचू जिसका अर्थ होता है पुराना पहाड़ या चोटी। यह माचू पिचू दक्षिण अमेरिका के देश पेरू गणराज्य में स्थित हैं। माचू पिचू एंडीज पर्वत पर बना निवास स्थल है जिसका निर्माण 1400 ईस्वी में इंका साम्राज्य के राजाओं ने करवाया था, लेकिन दुनिया इस स्थल से अनभिज्ञ थी।
विश्व से इसको परिचित करवाने का श्रेय हिराम बेघम को जाता है जो अमेरिका के इतिहासकार थे और पेरू खोज और अध्ययन के लिए गए थे। इंकाओ ने इसे निर्मित किया जिसके कुछ समय बाद वो यह साम्राज्य हार गए। इसलिए इसे इंकाओं का खोया हुआ शहर भी कहते हैं
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पेट्रा (रोज सिटी)
पेट्रा जॉर्डन देश का शहर है जो विश्व के सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक हैं। इसका निर्माण 312 ईस्वी में अरब नबावियांस के द्वारा किया था। उन्होंने इसे अपनी राजधानी बनाया था।
इस शहर की खासियत यह है की इसे पूरा पत्थर से काट कर बनाया गया था। और इस शहर में आज भी वांहनो का प्रवेश निषेध है।
यहां अगर आप पर्यटन के लिए जाते हैं तो आपको प्राचीन साधनों जैसे ऊट, बैलगाड़ी, घोड़े इत्यादि का ही उपयोग करना पड़ेगा।
और एक अन्य विशेषता है इस शहर की जल संरक्षण की। इस शहर की खोज स्विस यात्री जोहान बर्कहार्ट ने 1812 में की थी।
इस शहर को रोज सिटी के नाम से भी जाना जाता है क्युकी यहां के पाषाण से बनी इमारते सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गुलाबी रंग की हो जाती हैं।
ताजमहल
विश्व के सात अजूबों में से भारत की भूमि पर भी स्थित हैं। जो उत्तरप्रदेश राज्य के शहर आगरा में स्थित हैं। इसका निर्माण मुगल काल के एक बादशाह शाहजहां ने करवाया था। ताजमहल मुगल वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है।
यह भव्यता और ऐश्वर्य और भव्यता की प्रचुरता का प्रदर्शन करता है। इसका निर्माण उनकी बेगम मुमताज महल की स्मृति में करवाया गया था।
चुकी शाहजहां स्वयं एक बेहतर वास्तुकार थे इसलिए इसकी वास्तुकला में उनका भी योगदान है। इसके निर्माण में कुल 22 वर्षो का समय लगा था। इसके अलंकरण में आप कई शैलीयो का दर्शन कर सकते हैं।
क्राइस्ट द रिडिमर स्टेट्यू
ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में स्थित यह प्रभु ईसा मसीह की एक मूर्ति है। जिसकी ऊंचाई 30 मीटर है। इस प्रतिमा का निर्माण रोमन कैथोलिक समुदाय द्वारा अपने सम्राट को भेट देने हेतु किया गया था।
इस मूर्ति का उद्घाटन 1922 में किया गया। तथा यह 1931 में बनकर तैयार हुई थी।
ईसा मसीह की यह मूर्ति कोरकोवाडो पर्वत पर स्थित हैं। इस प्रतिमा में ईसा मसीह दोनो हाथ क्षेतिज रूप से फैलाए हुए खड़े है। और यह मूर्ति सफेद रंग की है।
चीन की दिवार
कहा जाता है की यह दुनिया की एकमात्र ऐसा अजूबा है जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता हैं। और कारण है इसकी विशालता।
लेकिन क्या आवश्यकता थी इतनी लम्बी दीवार बनवाने की। उत्तर हैं चीन के महान साम्राज्य के राजा किन शिहुआंग की युद्धनीति ।
सम्राट किन शिहुआंग को सदैव अपने राज्य पर अकस्मात हमले की चिंता रहती थी इसलिए उन्होंने एक सुरक्षा दीवार बनवाने का विचार किया जो पूरे राज्य की राज्य की सुरक्षा करती हो।
इसलिए उनके ही राज में वर्ष 207 ईस्वी में इस दीवार का निर्माण कार्य आरंभ हुआ और इसके पूर्ण निर्माण तक उस क्षेत्र में कही राजवंश आए और गए पर किसी ने कार्य को बंद नही किया क्योंकि यह प्रत्येक राज्य की सुरक्षा करता था। इस दीवार की लंबाई 21196 किलोमीटर हैं। जिसके निर्माण में करीब 10 लाख लोगो ने काम किया।
चीचेन इटजा
उत्तरी अमेरिका के देश मैक्सिको में स्थित यह पिरामिड है। चीचेन इट्ज़ा माया सभ्यता की जनजाति (मेक्सिको में रहने वाली) का सबसे बड़े शहर के रूप में जाना जाता था।
इस शहर का निर्माण 9 वीं सदी से लेकर 12वीं सदी के मध्य किया गया माना जाता है। इसका निर्माण कराने का श्रेय पूर्व-कोलंबियाई माया सभ्यता के लोगों को जाता है। यहां आप को बहुत से पिरामिड, मंदिर व खेल के मैदान और कॉलम देखने को मिल जाएंगे। इनमे विशेष ये है कि यहां अजीबो-गरीब आवाजें सुनाई देती हैं।