
Imandari ka fal kahani
INTRODUCTION imandari ka fal kahani
fruit of honesty एक बहुत खूबसूरत गांव था चारों तरफ हरियाली थी I नदी के झरने फूलों की खुशबू चिड़ियों की चहचहाहट किसी के भी मन को भा लेती
उसी गांव में रुपेश नामक एक पेंटर रहता था I रूपेश दिल का बहुत साफ और इमानदार था और हमेशा सच्चाई से जिंदगी जीता था I लेकिन था वह बहुत गरीब और गरीबी के कारण उसका जीवन बहुत मुश्किल से चलता I लेकिन फिर भी वह खुशी-खुशी रहा करता और दूसरों के घरों में जा जाकर पेंट किया करता था I जिंदगी में उसकी मुश्किलें तो थी लेकिन वह सच्चाई से जीता था I
रूपेश था बहुत मेहनती और वह दिन रात मेहनत करके सिर्फ दो समय के रोटी ही जुटा पाता I उसकी भी इच्छा होती कि उसे कोई बड़ा काम मिले जिससे वह अच्छे से जीवन का गुजारा कर सके I लेकिन फिर भी उसे जो भी छोटा काम मिलता उससे वह बहुत मेहनत लगन और सच्चाई से करता I
1 दिन की बात है रुपेश मेहनत से अपना काम कर रहा था तभी एक गांव के एक धनवान सेठ ने उसे बुलाया I और जब रुपेश सेठ के हवेली में गया सेठ ने कहा सुनो रुपेश मैंने तुम्हें एक बहुत महत्वपूर्ण काम के लिए बुलाया है I क्या तुम उसे कर पाओगे I
रूपेश ने कहा जी मालिक में कर लूंगा बताइए क्या काम है I सेठ ने कहा मैं चाहता हूं तुम मेरे नाव को अच्छे से पेंट कर दो I और यह काम आज ही हो जाना चाहिए I रूपेश ने कहा जी मालिक यह काम आज मैं लिपटा दूंगा I
और रुपेश अपने पेंट का सामान लेकर सेठ के नाव को खूबसूरत तरीके से रंगना शुरू कर दिया I
जब रुपेश बड़ी लगन और मेहनत से सेठ के नाव को रंग रहा था तभी उसकी नजर एक छोटे छेद पर गई I जो दूर से देखने में बिल्कुल दिखाई नहीं पड़ता I लेकिन पास आकर देखने से दिखाई पड़ता रूपेश ने उस पूरे नाव को खूबसूरत तरीके से पेंट कर दिया I और फिर उसने सोचा यह नाव में छेद रहेगा तो यह डूब भी सकता है I इसलिए उसने उस छेद को भी ठीक कर दिया I और उसके बाद सेठ के पास जाकर रूपेश ने कहा मालिक काम पूरा हो गया आप देख लीजिएगा I
फिर रुपेश और सेठ दोनों नदी किनारे जाते हैं और सेठ अपने नाव को देखकर बहुत खुश हो जाता है I और सेठ रुपेश से कहता है बहुत खूबसूरत बहुत बढ़िया तुमने काम किया I फिर सेठ ने कहा ठीक है रुपेश कल सवेरे आ कर अपना पैसा ले जाना I उसके बाद वह दोनों अपने अपने घर चले जाते हैं I और फिर दूसरे दिन सेठ अपने परिवार को उसी नाव से नदी के उस पार घुमाने के लिए ले जाता है I
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जब सेठ अपने पूरे परिवार को घुमा कर ले आता है उसका नौकर रामू दौड़ते हुए सेठ के पास नाव की तरफ जाता है I और सेठ से कहता है मालिक ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है I कि आप सही सलामत हैं सेठ ने पूछा क्यों क्या बात है रामू ने कहा मालिक इस नाव में छेद था सेठ घबरा जाता है I और जब जांच पड़ताल होती है तब सेठ को मालूम चलता है कि रूपेश ने उस छेद को भी ठीक कर दिया था और वह भी बिना बताए I
सेठ ने दूसरे दिन रूपेश को बुलाया और कहा लो रूपेश तुम्हारे पैसे रुपेश जब पैसे गिनने लगा I तब उसे बहुत ज्यादा पैसे मिले थे रुपेश सेठ से कहा मालिक आपने मुझे बहुत ज्यादा पैसे दे दिए हैं शायद गलती से I
सेठ ने रुपए से कहा यह पैसे ज्यादा नहीं है I तुमने जो मेरे परिवार को बचाया और उस छेद को भी भर दिया बिना बताए I यह तुम्हारे ईमानदारी का इनाम है I और सेठ रुपेश इतना खुश होता है कि उसे अपने यहां का नौकर रख लेता है I और वह भी अच्छे पैसे देकर के और रुपेश भी खुशी खुशी अपनी जिंदगी जीता है I
कहानी के द्वारा सीख
सच्चाई और ईमानदारी इसका रिजल्ट या प्रतिफल हमें तुरंत ना देखें लेकिन बाद में इसका बहुत बड़ा इनाम है I रुपेश यदि अच्छे से काम को नहीं करता या रुपेश काम चोर रहता I तो वह बस ऐसे ही पेंट करके चला आता और सेठ और उसका पूरा परिवार मर चुका रहता लेकिन रुपेश किसी भी काम को बहुत लगन और मेहनत से करता ठीक है I ऐसे ही जब हम भी छोटे-छोटे कामों को लगन और मेहनत से करते हैं तभी हम ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं I
आगे फिर मिलते हैं ऐसे प्रोत्साहन के बातों को लेकर के आप हमें जरूर बताएं I यह बातें आपको कैसी लगी आगे भी हम लोग आप लोग के लिए ऐसे ही और भी अच्छी अच्छी बातों को लाते रहेंगे I तब तक आप लोग खुशियां बांटते रहें और मुस्कुराते रहें I