सब्र का फल मीठा होता हैं | Sabr ka phal meetha hota hai- Story in hindi

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sabr ka phal meetha hota hai

sabr ka phal meetha hota hai इंतजार का फल यह कहानी आपको उत्साहित करेगी

Introduction-sabr ka phal meetha hota hai

reward of truth बहुत पुराने समय की बात है मधुबन नामक एक गांव में बिरजू नामक एक गरीब किसान रहता था I और गरीबी इतनी अधिक थी कि दो वक्त की रोटी भी खाना बिरजू के लिए काफी मुश्किल होता I बिरजू अपने बूढ़ी मां के साथ रहता लेकिन बिरजू था बहुत सीधा-साधा लेकिन वह अपनी मां से बहुत प्यार करता था I और हमेशा मेहनत और सच्चाई से काम करता I

बिरजू जब जब अपनी गरीबी से बहुत अधिक परेशान हो जाता तब तब वह अपनी मां से अपनी गरीबी का जिक्र करता I कि मां हमारे अच्छे दिन कब आएंगे? क्या पूरी जिंदगी I हम इसी तरह गुजारनी पड़ेगी लेकिन उसकी मां उसे हमेशा प्रोत्साहित करती I और कहती बेटा बिरजू ईमानदारी से काम करते रहो I और कभी किसी का बुरा मत करो ईश्वर सभी को सही समय आने पर प्रतिफल देते हैं I दुष्टों को भी और ईमानदार लोगों को भी और यदि तुम सच्चे बने रहे I तो ईश्वर भी सही समय आने पर तुम्हारी गरीबी को दूर करेंगे I

बिरजू को अपने मां के बातें से उसे बहुत हिम्मत मिलती और वह सच्चाई से काम करता और कभी किसी का बुरा नहीं चाहता I लेकिन बिरजू बहुत सीधा-साधा था और इसी सीधेपन का लोग फायदा उठाते थे I और दोस्त भी उसका मजाक उड़ाते थे लेकिन जैसा कहा गया है ईश्वर के घर में देर है पर अंधेर नहीं I

1 दिन की बात है बिरजू ने सपना देखा कि उसके घर पर अचानक सोने के सिक्के की बारिश हो रही है I वह अपने इस सपने के बारे में अपने दोस्त रूपेश को बताता है I रुपेश ने भी मजाक मजाक में कह दिया अरे हां मुझे भी सपना आया था I कि मैं खेत में हूं और मुझे सोने के सिक्के का घड़ा मिला है और रुपेश यह कहकर वहां से चला जाता है I

दूसरे दिन बिरजू अपने खेत में हमेशा की तरह हल चला रहा था तभी कुछ दूर चलते हुए I उसका हल कहीं मिट्टी में फस गया और आगे नहीं बढ़ रहा था जब बिरजू ने मिट्टी हटाकर देखा I तब उसकी नजर एक घड़े पर पड़ी जैसे उसने घड़े को खोला उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है I क्योंकि उस घड़े में सोने के सिक्के भरे हुए थे I

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बिरजू था बहुत सीधा-साधा जब उसने यह देखा तो वह बड़ा निराश हुआ I उसे लगा यह तो उसके मित्र रूपेश का सपना था I और यह सिक्के उसे रूपेश को देना चाहिए I शाम का समय था वह जाकर के रूपेश को कहता है I रुपेश रुपेश तुम्हारा सपना पूरा हो गया तुम जाकर के मेरे खेत से अपने सोने के सिक्के से भरा हुआ घड़ा ले लो I

इतना कहकर बिरजू अपने घर की ओर निकल पड़ता है I और बिरजू भी सपने का पूरा होने का इंतजार करता है I कि जब रुपेश का सपना पूरा हो सकता है तो मेरा भी सपना एक न एक दिन जरुर पूरा होगा और बिरजू यह सोच कर अपने खटिया में सो जाता है I

उधर रुपेश सोचता है क्या यह मजाक तो नहीं फिर वह सोचता है चलो एक बार जाकर देखने में क्या बुराई है I

रुपेश के जाने से पहले घड़ी के अंदर तीन से चार सांप घुस चुके थे क्योंकि बिरजू ढक्कन को खुला छोड़ कर ही चल गया था I जैसे रुपेश उस जगह पहुंचता है उसे सांप दिखाई पड़ते हैं इस बात से रूपेश को बहुत गुस्सा आता है I कि ऐसा मजाक ठीक नहीं और वह बिरजू से बदला लेने के लिए रूपेश ने बिरजू की छत पर चढ़कर सोने से भरा हुआ वह घड़ा गिरा देता है यह सोच कर कि सांप उसको काट ले I

लेकिन जैसे ही वह सोने के घड़े को गिराता है सांप तुरंत निकल कर बाहर की और चले जाते हैं I और सारा सोने का सिक्का घर के इधर-उधर बिखर जाता है I जब तेज आवाज के साथ सोने का घड़ा गिरा तब बिरजू चौक कर उड़ जाता है I

और जब वह देखता है तो चारों तरफ सोना ही सोना तब उसे विश्वास नहीं होता और वह बहुत खुश हो जाता है कि उसका सपना पूरा हो गया I

कहानी के द्वारा सीख

यदि हम जीवन में सही हैं और सच्चाई और ईमानदारी से काम कर रहे हैं और किसी का बुरा नहीं चाह रहे हैं I तो लोग हमारे साथ कितना भी बुरा करें लेकिन अंत में वह हमारी भलाई में बदल जाएगा और सही समय आने पर हमें अपने सच्चाई का इनाम भी मिलेगा I

यह कहानी आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं आगे भी हम लोग आप लोग के लिए ऐसे ही उत्साहित कहानियों को लाते रहेंगे

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